Monday, October 18, 2010

दर्द की जब बात चलती है

दर्द की जब बात चलती है
दिन के संग संग रात चलती है

मीठे से चेहरों के पीछे ही
साजिशें और घात चलती है

टूट जाता है भरोसा जब
आंसुओं की रात चलती है

नींद उड़ जाती है आँखों से
रात बेबस हाथ मलती है